रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में शाम के 6 बजे का मैच शुरू हुआ, और जिम्बाब्वे की टीम ने श्रीलंका को 67 रनों से धूल चटा दी। ये जीत न सिर्फ जिम्बाब्वे की टीम के लिए पहली जीत थी, बल्कि टी20आई इतिहास में इन दोनों टीमों के बीच सबसे बड़ी जीत भी। जब श्रीलंका की बल्लेबाजी 95 रन पर खत्म हुई, तो उनके खिलाड़ियों के चेहरे पर निराशा थी — और जिम्बाब्वे के खिलाड़ियों के बीच एक अजीब सी शांति थी, जैसे कोई जानता हो कि ये बस शुरुआत है।
पावरप्ले से शुरू हुई धमाकेदार शुरुआत
जिम्बाब्वे की बल्लेबाजी की शुरुआत B.J. Bennett ने अपने तेज़ बल्लेबाजी से की। पावरप्ले के छह ओवर में उन्होंने 37 रन बनाए, जिसमें चार छक्के और तीन चौके शामिल थे। उनके साथ Sikandar Raza, जिम्बाब्वे के कप्तान, ने 44 गेंदों में 61 रनों की भागीदारी बनाई। ये जोड़ी ने टीम को 50 रन तक पहुँचाया — बिना किसी एक्स्ट्रा के — सिर्फ 39 गेंदों में। ड्रिंक्स ब्रेक तक जिम्बाब्वे 71/2 पर था, और बाद के ओवर्स में भी रफ्तार कम नहीं हुई। 18.4 ओवर में 150 रन पार करने के बाद, टीम ने 162/8 का स्कोर बनाया।
श्रीलंका का बल्लेबाजी ढहाव: एक ऐसा गिरावट जिसे कोई नहीं भूलेगा
श्रीलंका के लिए ये मैच बस एक और निराशा थी। उनकी बल्लेबाजी का शुरुआती भाग भी बहुत कमजोर रहा — पावरप्ले में सिर्फ 25 रन और दो विकेट गिरे। ड्रिंक्स ब्रेक तक वे 45/4 पर थे। Dasun Shanaka, जो टीम के लिए अकेले 34 रन बनाने में सफल रहे, उनके बाद सब कुछ टूट गया। जब Tinotenda Maposa ने चारिथ असलंका को एक शानदार कैच से आउट किया, तो श्रीलंका 64/5 से 66/8 हो गया — चार ओवर में चार विकेट।
जिम्बाब्वे के बॉलर NR Evans ने 3 विकेट लिए, जबकि Richard Ngarava ने लगातार योगदान दिया। श्रीलंका के बल्लेबाजों में से कई ने अपनी बल्लेबाजी बर्बाद कर दी: पार्थिवा निसांका सिर्फ 0 रन पर आउट हुए, बीकेजी मेंडिस रन आउट, और एम थुशारणा जैसे बॉलर्स भी बल्लेबाजी में शामिल होकर एक-एक रन पर गिर गए। आखिरी दस ओवर में श्रीलंका केवल 30 रन बना पाई — एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे उनके कोच ने अभी तक नहीं देखा होगा।
मैच के बाद का रिएक्शन: जिम्बाब्वे की आत्मविश्वास, श्रीलंका का अंधेरा
ESPN की रिपोर्ट में ये कहा गया: "जिम्बाब्वे ने रावलपिंडी में श्रीलंका को धूल चटा दी।" ये सिर्फ एक शब्द नहीं, ये एक भावना थी। जिम्बाब्वे की टीम अब तक इस टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं जीत पाई थी — उनका पहला मैच फाइनल ओवर में हार गया था। लेकिन आज, उन्होंने अपनी टीम को बदल दिया।
दूसरी ओर, श्रीलंका के लिए ये टूर एक बर्बादी है। तीन ओडीआई मैचों में तीन हार, और अब टी20 में भी यही निराशा। उनके बल्लेबाज बार-बार शुरुआत में गिर रहे हैं, और बॉलर्स भी रन रोकने में असमर्थ। टीम के लिए अब सिर्फ एक सवाल बचा है — क्या वे अगले मैच में बच सकते हैं?
पिछले मुकाबले: एक लड़ाई जो बदल रही है
इन दोनों टीमों के बीच का रिश्ता अब तक बहुत बराबर रहा है। सितंबर 2025 में जिम्बाब्वे के घर पर तीन टी20आई मैच हुए — श्रीलंका ने उनमें से दो जीते, जिम्बाब्वे ने एक। लेकिन अब ये गति बदल रही है। जनवरी 2024 में श्रीलंका के घर पर भी ऐसा ही हुआ था — श्रीलंका ने दो मैच जीते, जिम्बाब्वे ने एक। लेकिन आज का मैच एक नया मोड़ है।
जिम्बाब्वे अब न सिर्फ अपनी टीम को बदल रहा है, बल्कि अपनी पहचान भी। ये टीम अब बस एक अनुभवी टीम नहीं, बल्कि एक आत्मविश्वास से भरी टीम बन रही है। जबकि श्रीलंका अपने नए खिलाड़ियों को लेकर अभी भी उलझन में है।
अगला क्या? टूर्नामेंट का अगला चरण
अब जिम्बाब्वे के पास एक मौका है — अगले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ जीत के साथ वे टूर्नामेंट के शीर्ष पर आ सकते हैं। श्रीलंका के लिए ये अगला मैच एक बचाव बन गया है। अगर वे अगले मैच में हार गए, तो उनका टूर्नामेंट से बाहर होना तय हो जाएगा।
इस टूर्नामेंट के लिए उपयोग किए जा रहे उम्पायर्स में Faisal Afridi भी शामिल हैं, जिन्होंने 18.6 ओवर में एक क्रूशियल रिव्यू का फैसला दिया — जिसमें जिम्बाब्वे के बल्लेबाज एजी क्रेमर को 'स्ट्राइक डाउन' के रूप में आउट घोषित किया गया। ये फैसला मैच के बाद भी चर्चा का विषय बना।
क्या आगे होगा?
जिम्बाब्वे के लिए ये जीत एक नई ऊर्जा का संकेत है। वे अब तक अपने खिलाड़ियों को अपने देश में ही देखा गया है — अब वे विदेशों में भी जीत का नाम बना रहे हैं। श्रीलंका के लिए तो ये सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि एक बड़ा चेतावनी है। उनके बल्लेबाज अभी भी अपनी शुरुआत को नहीं समझ पा रहे हैं, और बॉलर्स को दबाव में रहना होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस जीत ने जिम्बाब्वे की टीम के लिए क्या महत्व रखता है?
ये जिम्बाब्वे की टीम का पहला टी20आई जीत है और श्रीलंका के खिलाफ उनकी सबसे बड़ी जीत है। इससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है, और उन्होंने अपने टूर्नामेंट में पहला अंक अर्जित किया है। ये जीत उनके लिए एक नई दिशा का संकेत है, खासकर जब वे अगले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ खेलेंगे।
श्रीलंका के लिए ये हार क्यों इतनी बड़ी बात है?
श्रीलंका इस टूर्नामेंट में अभी तक एक भी मैच नहीं जीत पाई है। तीन ओडीआई मैचों में तीन हार के बाद अब टी20 में भी ऐसा ही हुआ है। उनके बल्लेबाज शुरुआत में गिर रहे हैं, और बॉलर्स रन रोकने में असमर्थ हैं। अगला मैच उनके लिए बचाव होगा — नहीं तो टूर्नामेंट से बाहर।
क्या जिम्बाब्वे की टीम अब टूर्नामेंट जीत सकती है?
हां, अगर वे अगले मैच में पाकिस्तान को हरा दें, तो वे टूर्नामेंट के शीर्ष पर आ सकते हैं। उनके बल्लेबाजी और बॉलिंग दोनों में अब एक संतुलन बन रहा है। शिकंदर राजा और बीजे बेनेट ने बल्लेबाजी में बड़ी भूमिका निभाई है, और एवन्स और नगारवा ने गेंदबाजी में अपनी टीम को सुरक्षित रखा है।
रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम के मैदान का क्या रोल रहा?
मैदान बल्लेबाजों के लिए थोड़ा धीमा था, लेकिन बॉलर्स के लिए अच्छा। गेंद ने जमीन पर अच्छी तरह से चली, और जिम्बाब्वे के बॉलर्स ने इसे अच्छी तरह से इस्तेमाल किया। श्रीलंका के बल्लेबाजों को तेज़ गेंदों के खिलाफ अनुकूल नहीं बन पाए — जिसकी वजह से उनकी बल्लेबाजी जल्दी खत्म हो गई।
श्रीलंका के लिए अगला मैच क्या होगा?
श्रीलंका का अगला मैच पाकिस्तान के खिलाफ होगा, जो इस टूर्नामेंट में अभी तक अपने दोनों मैच जीत चुका है। श्रीलंका को अगर ये मैच जीतना है, तो उन्हें बल्लेबाजी की शुरुआत बदलनी होगी। अगर वे हार गए, तो वे टूर्नामेंट से बाहर हो जाएंगे — और ये उनके लिए एक बड़ी शर्म की बात होगी।
जिम्बाब्वे की टीम के लिए अगला लक्ष्य क्या है?
अगला लक्ष्य पाकिस्तान को हराना है, जिससे वे टूर्नामेंट में शीर्ष पर आ सकें। उनके लिए अब ये नहीं कि वे बस एक मैच जीत गए, बल्कि ये है कि वे एक टीम के रूप में बदल रहे हैं। अगर वे अगले मैच में भी जीत जाते हैं, तो वे विश्व क्रिकेट में एक नया नाम बना देंगे।