ECI ने शुरू किया वोटर डुप्लिकेट्स की पहचान के लिए AI टूल्स के साथ स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन फेज-II

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भारत के 51 करोड़ वोटरों के लिए एक ऐतिहासिक जांच शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ऑफ इंडिया (ECI) ने 4 नवंबर, 2025 को रात 9:40 बजे देशभर के 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) फेज-II की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य साफ़ है: वोटर रोल से डुप्लिकेट, मृत और नकली वोटरों को निकालना, नए वयस्कों को शामिल करना, और वोटिंग के लिए आधार को बेहतर बनाना। और इस बार, इसके लिए एआई टूल्स का इस्तेमाल हो रहा है — बस इतना ही नहीं, बल्कि इसे घर-घर जाकर जांचने वाले बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) के साथ मिलाकर।

घर-घर जाकर वोटर जांच: बूथ ऑफिसर्स की जिम्मेदारी

इस अभियान का दिल बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) हैं। लगभग 50.40 करोड़ (99%) एनुमरेशन फॉर्म्स पहले ही छप चुके हैं, और इन्हें BLOs तीन बार घर-घर पहुंचाएंगे — एक बार देने के लिए, एक बार भरने के लिए, और एक बार वापस लेने के लिए। यह तीन बार की जांच जानबूझकर की गई है। क्योंकि अगर कोई व्यक्ति अपना वोटर आईडी खो दे, या उसका नाम गलत लिखा हो, या वह अपने घर से शहर बदल चुका हो — तो यही तीन बार की जांच उसकी सही पहचान करने का एकमात्र तरीका है।

ECI के अनुसार, अब तक 13.50 करोड़ फॉर्म्स (27%) डिजिटल हो चुके हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है — क्योंकि पिछले साल इस दर सिर्फ 12% थी। लेकिन डिजिटलीकरण का मतलब यह नहीं कि इंसानी जांच कम हो गई। बल्कि इसका मतलब है कि अब बूथ ऑफिसर्स के पास एक डिजिटल टूल है जो उनकी जांच को तेज़ और सटीक बनाता है।

एआई का भूमिका: चेहरे से पहचानना, नकली वोटर को पकड़ना

यहां एआई का इस्तेमाल बहुत खास है। जब कोई व्यक्ति नया वोटर बनता है, तो उसकी तस्वीर डाली जाती है। लेकिन कई मामलों में, एक ही तस्वीर को कई अलग-अलग नामों के साथ इस्तेमाल किया गया है — खासकर शहरों में काम करने वाले माइग्रेंट श्रमिकों के नाम पर। कुछ लोग तो मृत व्यक्तियों की तस्वीरें भी दोहरा रहे हैं।

अब, चुनाव आयोग ने एक एआई-आधारित फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है, जो इन डुप्लिकेट तस्वीरों को एक नज़र में पकड़ लेता है। इसका अर्थ है कि अगर किसी की तस्वीर पहले से किसी और के नाम पर रजिस्टर्ड है, तो सिस्टम तुरंत चेतावनी दे देगा। एक ECI स्रोत ने कहा, “एआई अकेला नहीं बचाएगा। लेकिन यह उन गलतियों को जल्दी पकड़ देता है जिन्हें इंसान अक्सर छूट जाता है।”

इस तकनीक का इस्तेमाल पहले कभी नहीं हुआ था। पिछले साल के SIR फेज-I में बिहार में इसी तरह की जांच हुई थी, जहां 2.3 लाख डुप्लिकेट वोटर निकाले गए। इस बार, यह तकनीक देश के 321 जिलों में लागू हो रही है।

क्या होगा अगर फॉर्म नहीं भरा?

क्या होगा अगर फॉर्म नहीं भरा?

अगर कोई व्यक्ति अपना एनुमरेशन फॉर्म 4 दिसंबर, 2025 तक नहीं भरता, तो उसका नाम ड्राफ्ट वोटर रोल में शामिल नहीं होगा। और फिर उसे अलग से एक नया आवेदन भरना पड़ेगा — जिसमें पहचान प्रमाण, आवास प्रमाण और साक्ष्य की जरूरत होगी। यह प्रक्रिया बहुत धीमी है, और अक्सर वोटर को वोटिंग के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।

इसलिए, चुनाव आयोग ने एक बहुत सरल तरीका बनाया है: आप ECINet ऐप पर “Book-a-call with BLO” का विकल्प चुन सकते हैं, या सीधे 1950 को अपने STD कोड के साथ डायल कर सकते हैं। यह टोल-फ्री नंबर है। आपको बस अपना वोटर आईडी देना है — और एक BLO आपके घर आएगा।

टाइमलाइन: कब क्या होगा?

  • 28 अक्टूबर - 3 नवंबर, 2025: तैयारी, प्रशिक्षण और फॉर्म छपाई
  • 4 नवंबर - 4 दिसंबर, 2025: घर-घर एनुमरेशन
  • 4 दिसंबर, 2025: पोलिंग स्टेशन रिशेड्यूलिंग पूरी
  • 9 दिसंबर, 2025: ड्राफ्ट वोटर रोल जारी
  • 9 दिसंबर - 8 जनवरी, 2026: आपत्ति और दावे की अवधि
  • 1 जनवरी, 2026: नए वयस्कों के लिए योग्यता तिथि (18 साल के होने की तारीख)
  • 7 फरवरी, 2026: अंतिम वोटर रोल जारी

यह टाइमलाइन बहुत सख्त है। और यह जानबूझकर ऐसी है। क्योंकि अगर वोटर रोल को अपडेट नहीं किया गया, तो 2026 के चुनावों में धोखाधड़ी का खतरा बढ़ जाएगा।

यह सब क्यों मायने रखता है?

यह सब क्यों मायने रखता है?

हर वोट गिना जाता है। और हर वोट अपनी जगह पर होना चाहिए। अगर 50 लाख नकली वोटर होंगे, तो एक छोटे से राज्य में चुनाव का नतीजा बदल सकता है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है — यह लोकतंत्र की जान है।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के लिए एक नया मानक बन रहा है। अब दुनिया भर में चुनाव आयोग यह देख रहे हैं कि भारत कैसे एआई और इंसानी जांच को मिलाकर वोटिंग की निष्पक्षता को बचा रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या मैं अपना वोटर आईडी ऑनलाइन चेक कर सकता हूँ?

हां, आप voters.eci.gov.in पर अपना नाम दर्ज करके अपनी वोटर रजिस्ट्रेशन स्थिति चेक कर सकते हैं। आपको अपना नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि डालनी होगी। अगर आपका नाम ड्राफ्ट रोल में नहीं है, तो आपको जल्द से जल्द BLO से संपर्क करना चाहिए।

एआई टूल्स क्या गलतियां कर सकते हैं?

हां, एआई कभी-कभी एक ही चेहरे को अलग लोगों के रूप में पहचान लेता है — खासकर अगर दो व्यक्ति एक जैसे दिखते हैं या तस्वीरें खराब हैं। इसलिए ECI ने कहा है कि एआई की चेतावनी के बाद भी बूथ ऑफिसर को व्यक्तिगत जांच करनी होगी। यह एक सुरक्षा बैकअप है।

क्या मृत व्यक्ति के नाम पर वोटिंग हो रही है?

हां, यह एक बड़ी समस्या रही है। पिछले 5 सालों में, केवल उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में ही 8.7 लाख मृत व्यक्तियों के नाम वोटर रोल से हटाए गए। एआई अब तस्वीरों के साथ-साथ डेथ सर्टिफिकेट के डेटा को भी मैच करता है। यह बहुत तेज़ है।

क्या नए वयस्क अपना नाम आखिरी दिन तक भर सकते हैं?

नहीं। अगर आप 1 जनवरी, 2026 तक 18 साल के नहीं हुए, तो आपका नाम इस चक्र में शामिल नहीं होगा। आपको अगले चक्र के लिए अलग से आवेदन करना होगा। इसलिए अगर आपका जन्म 15 दिसंबर, 2007 है, तो आप 1 जनवरी, 2026 को 18 साल के हो जाएंगे — और आप इस बार वोट कर सकते हैं।

क्या बूथ ऑफिसर्स को भुगतान मिलता है?

हां, BLOs को एक निश्चित राशि मिलती है — लगभग ₹500 प्रति फॉर्म जो वे जमा करते हैं। यह उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। लेकिन इसके साथ ही उन्हें एक जिम्मेदारी भी है — अगर कोई डुप्लिकेट वोटर छूट गया, तो उन पर जांच भी हो सकती है।

क्या यह अभियान राजनीतिक दबाव के खिलाफ सुरक्षित है?

हां। चुनाव आयोग की संवैधानिक स्वतंत्रता के तहत यह अभियान निष्पक्ष रूप से चल रहा है। राज्य सरकारें इसमें शामिल नहीं हैं। एआई डेटा और बूथ ऑफिसर्स की रिपोर्ट सीधे नई दिल्ली के ECI केंद्र में जाती हैं। यह एक तकनीकी और प्रशासनिक अभियान है — न कि राजनीतिक।